#lovepoetry #repost मेरे एकांत में भी तुम्हारा प्रेम, मेरे कलेजे का द्वार खटखटा हीं देता है, कई बार इजाजत ना भी दूँ तो, वो मेरे सिरहाने आकर बैठ जाता है, कभी मुझे अपलक निहारता है, तो कभी केशों में उँगलियाँ फिरा जाता है, क्यों पढ लिया था तुमने मुझे किसी किताब की तरह? क्या कंठस्थContinue reading “तुम्हारा प्रेम ।”